शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

चाँद पर बेबसी छाई है

कल पिघल‍ती चाँदनी में 
देखकर अकेली मुझको 
तुम्हारा प्यार
चलकर मेरे पास आया था 
चाँद बहुत खिल गया था। 

आज बिखरती चाँदनी में 
रूलाकर अकेली मुझको 
तुम्हारी बेवफाई 
चलकर मेरे पास आई है 
चाँद पर बेबसी छाई है। 

कल मचलती चाँदनी में 
जगाकर अकेली मुझको 
तुम्हारी याद 
चलकर मेरे पास आएगी 
चाँद र मेरी उदासी छा जाएगी।

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